Thursday, 15 November 2012

बुद्ध की चिंता

एक बार महात्मा बुद्ध किसी वृक्ष के नीचे विश्राम कर रहे थे!वृक्ष आम का था!काफी बड़ा और घना!ठंडी ठंडी हवा चल रही थी!बुद्ध ध्यानमग्न थे!तभी एक पत्थर उनके माथे पर आकर लगा!माथे से रक्त की धारा बह निकली!उसी समय वहां पर तीन चार बच्चे आये और इस कृत्य के लिए उनसे माफ़ी मांगते हुवे बोले,"हमें माफ़ कर दीजिये!हमने आम के वृक्ष से फल तोड़ने के लिए पत्थर फेंका था जो भूल से आपको आ लगा!"बच्चों की बात सुनकर महात्मा बुद्ध की आंखे छलछला आयीं!वे विनम्रता से बोले,"बच्चों,मुझे पत्थर लगा,इसका मुझे जरा भी दुःख नहीं!दुःख तो इस बात का है कि पत्थर मारने पर वृक्ष तुम्हें मीठे फल देता है और जब पत्थर मुझे लगा तो तुम लोग भयभीत हो गए!मैं तुम्हे भय के सिवाय कुछ भी न दे सका!"भगवन बुद्ध के इस कथन से बच्चे उनके चरणों में झुक गए!